मथुरा। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे अधिकारियों को जबरन रिटायर कर रहे हैं। भ्रष्ट पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों की जांच की जा रही हैं लेकिन मथुरा के थानों में भ्रष्टाचार चरम पर है। यहां पीड़ितों से खुलेआम पैसा मांगे जाने के मामले सामने आ रहे हैं। निर्दाषों को हिरासत में लेकर फिर छोड़ने की एवज में रिश्वत मांगी जा रही है। पुलिस के भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले पर ही मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। ऐसे में मथुरा की जनता का जनपद की पुलिस पर से इस्तकबाल उठ रहा है। कार्यवाही के नाम पर भी खानापूरी की जा रही है। मथुरा में पुलिस अपराधियों को पकड़ने और सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखने के बजाय निर्दोषों को पकड़ने और फिर उन्हें छोड़ने के लिए सुविधा शुल्क वसूलने में व्यस्त है। जबकि मथुरा में इन दिनों क्राइम के ग्राफ में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे कई मामले हाल ही में सामने आ चुके हैं।
केस नंबर 1- गाजियाबाद के मोदीनगर निवासी देवेंद्र शास्त्री ने सीओ गोवर्धन से शिकायत की थी कि उन्होंने वर्ष 2005 में गोवर्धन में 103 वर्गगज का प्लाट देवेंद्र दत्तक पुत्र कोमल दास से खरीदा था। जिस पर बाबा भूरेदास ने भूसा आदि रखकर कब्जा कर लिया। जब उन्होंने प्लाट पर निर्माण कार्य कराने का प्रयास किया तो निर्माण कार्य भी नहीं होने दिया। इसकी शिकायत पर एसओ गोवर्धन द्वारा एसआई अमित आनंद को जांच सौंप दी। आरोप है कि एसआई अमित आनंद और हैड कांस्टेबिल गजेंद्र प्रताप सिंह ने पीड़ित देवेंद्र को थाने बुलाकर उनसे काम कराने की एवज में 50 हजार रुपए मांगे। इसमें आवेदक ने 30 हजार दे भी दिए। शिकायत मिली तो क्षेत्राधिकारी गोवर्धन ने जांच में मामले को प्रथमदृष्टया सही पाया। तो एसएसपी शलभ माथुर ने इसे गंभीरता से लेते हुए उप निरीक्षक एवं मुख्य आरक्षी को निलंबित कर प्रारंभिक जांच एसपी क्राइम को सौंप दी है।
केस नंबर 2- थाना नौहझील अंतर्गत बाजना चौकी पुलिस द्वारा कुछ लोगों को पूछताछ के लिए चौकी लाया गया था। जब पूछताछ में कुछ हासिल नहीं हुआ तो उसे आसानी से छोड़ने के बजाय उससे सुविधा शुल्क की मांग की गई। आरोप है कि ग्रामीण को छोड़ने की एवज में 30 हजार रुपए लिए गए। नौहझील के गांव कौलाना आवेद खां पुत्र सलीम खां ने इसकी शिकायत एसएसपी से की। एसएसपी द्वारा कराई गई जांच में इस मामले को प्रथमदृष्टया सही पाया गया। इस पर एसएसपी शलभ माथुर ने कार्यवाही करते हुए सिपाही यतेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया। वहीं चौकी प्रभारी बाजना सुंदर पाल सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया है।
केस नंबर 3- थाना हाईवे के गांव अडूकी निवासी एक खनन माफिया ने थाना हाईवे के सिपाही राघवेंद्र सिंह से खनन का काम शुरु करने के लिए फोन पर बातचीत की। फोन पर बातचीत में सिपाही 50 हजार रुपए प्रतिमाह सुविधा शुल्क की मांग की। साथ ही यह भी कहा कि अब भाजपा की सरकार है तो रिश्वत का पैसा बढ़ गया है। इस बातचीत की ऑडियो माफिया द्वारा अपनी पहचान के भाजपा नेता को दे दी। भाजपा नेता ललित पाठक ने इसकी शिकायत एसएसपी सहित भाजपा के आला पदाधिकारियों से करते हुए ऑडियो वायरल कर दिया। इस पर एसएसपी ने सिपाही को तो लाइन हाजिर कर दिया लेकिन माफिया के माध्यम से भाजपा नेता ललित पाठक पर ही उल्टा मुकदमा दर्ज करा दिया। सूत्रों के अनुसार अब आरोपी सिपाही राघवेंद्र सिंह को थाना मगोर्रा में बहाल कर दिया है। इससे पीड़ित ललित पाठक काफी परेशान है। ललित पाठक का कहना है कि वह इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से करेंगे।