मथुरा। लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में मंगलवार को उस समय अचानक खलबली मच गई। जब कार्यालय में किसी काम से पहुंचे अधिवक्ताओं और कार्यालय के लिपिकों के बीच मारपीट शुरु हो गई। बवाल होने पर आसपास मौजूद लोगों
ने बमुश्किल बीच बचाव कराया। बाद में कार्यालय कर्मियों ने माफी मांग कर प्रकरण में समझौता कर लिया।
लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड कार्यालय में एक अधिवक्ता सुमित सारस्वत ने भवन मूल्यांकन के लिए आवेदन दिया
था। आरोप है कि कई बार कहने के बाद भी लिपिक आवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा था। उन्हें एक पटल से दूसरे पटल पर घुमाया जा रहा था।
इसे लेकर ही कुछ अधिवक्ता पीडब्लूडी कार्यालय पहुंचे। बताते हैं कि लिपिक से अधिवक्ताओं से इसी बात को लेकर तू-तू मैं-मैं हो गई। विवाद बढ़ने पर बात मारपीट तक पहुंच गई। बीच बचाव के लिए जो भी पहुंचा उसके साथ भी मारपीट हुई। दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हुई। कुर्सियां फिंकी। इसके बाद तो लोग इधर उधर भागते दिखे। कुछ लोगों के मारपीट के दौरान कपड़े भी फट गए। सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। अधिवक्ताओं की संख्या बढ़ते देख बाबुओं द्वारा अधिवक्ताओं से माफी मांगते हुए राजीनामा कर लिया। बार के पूर्व सचिव राघवेंद्र सिंह ने विषबाण को बताया कि उनके जूनियर अधिवक्ता ने कार्यालय में अपनी माताजी के नाम से भवन मूल्यांकन के लिए आवेदन किया था। पटल लिपिक द्वारा उन्हें कई दिन से टहलाया जा रहा था। मंगलवार को भी वह पीडब्लूडी कार्यालय इसी काम के लिए पहुंचे थे। लिपिक ने सुमित से अभद्रता कर दी। इसके बाद दोनों पक्षों में मारपीट शुरु हो गई। जानकारी होने पर वह कार्यालय पहुंचे और दोनों पक्षों को अलग-अलग किया। पीडब्लूडी कर्मियों ने माफी मांग ली। अतः किसी के खिलाफ कोई लिखित कार्यवाही न करते हुए समझौता कर लिया गया।
कुछ माह पूर्व भी लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड विवादों में आया था। जब उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कार्यालय में रखी हुईं सपा मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नाम की शिलापट्टिकाओं पर कालिख पोत दी थी। इससे गुस्साए सपा नेताओं ने कार्यालय में जमकर हंगामा किया था। साथ ही सपाईयों ने एक वरिष्ठ अधिकारी के चेहरे पर स्याही फेंक दी थी। जिलाध्यक्ष तनवीर अहमद, पूर्व शहर अध्यक्ष राजन रिजवी, नीटू चौधरी, युवजन सभा के जिलाध्यक्ष सौरभ चौधरी सहित 15 लोगों को नामजद करते हुए मुकदमा भी दर्ज कराया गया था।