मथुरा। चरण वंदना कीजिए नेताओं की रोज, दिन अच्छे आ जाएंगे खूब करोगे मौज। यूपी की योगी सरकार में यह लाइनें अफसरशाही पर सटीक साबित हो रही हैं। नेताओं का आर्शीवाद लेने का एक मामला मथुरा जनपद में सामने आया है। मथुरा के डीपीआरओ ने तहसील छाता में खुलेआम कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण सिंह के पैर छूकर आर्शीवाद लिया। अधिकारी के इस तरह मंत्री के पैर छूना अफसरशाही के साथ आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
शनिवार को तहसील छाता में कैबिनेट मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण सिंह की अगुवाई में कम्बल वितरण सहित अन्य कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। इस कार्यक्रम के लिए तहसील में डीएम सर्वज्ञराम मिश्र, एसएसपी बबलू कुमार सहित अन्य कई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी शिरकत करने के लिए मौजूद थे। उनके साथ डीपीआरओ डॉ. प्रीतम सिंह भी वहां थे। कैबिनेट मंत्री चौ. लक्ष्मीनारायण सिंह को निर्धारित कार्यक्रम के तहत 11 बजे तक तहसील पहुंचना था लेकिन वह कंबल लेने के लिए आए लोगों को काफी इंतजार कराने के बाद करीब दो बजे तहसील पहुंचे। जैसे ही मंत्रीजी की गाड़ी तहसील पहुंची तो जहां सभी अधिकारियों ने फूलों का बुके देकर उनकी अगवानी की वहीं डीपीआरओ डॉ. प्रीतम सिंह ने मंत्रीजी के पैर छूकर उनका इस्तकबाल किया। जैसे ही डीपीआरओ ने मंत्रीजी के पैर छुए वैसे ही कैमरा के फ्लैश चमक उठे और यह तस्वीर कैमरे में कैद हो गई। इसके बाद तो यह तस्वीर बहुत जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। सत्ता पक्ष के नेताओं के अधिकारियों द्वारा पैर छूने की परंपरा हालांकि नई नहीं है। अफसर अपने काम निकालने के लिए राजनेताओं के पैर छूने में कोई गुरेज नहीं करते हैं और नेताओं के नाजायज कामों को करने में भी पूरी दिलचस्पी दिखाते हैं। जबकि यदि कोई आम आदमी उनसे अपने काम कराने जाए तो उसे ऐसी फटकार लगाते हैं कि पीड़ित फिर कभी उनके पास जाता ही नहीं है।
बढ़ चुका है ग्राम पंचायत के विकास कार्यां में कमीशन
बताया जा रहा है कि जब से डॉ. प्रीतम सिंह जनपद में डीपीआरओ के तौर पर तैनात हुए हैं तभी ग्राम पंचायत के विकास कार्यां में कमीशन बढ़ गया है। जहां पहले से यह कमीशन 20 से 25 प्रतिशत था वहीं यह कमीशन बढ़कर 35 से 40 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इस संबंध में ठेकेदारों सहित अन्य कई लोगों ने भी शिकायतें की हैं लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हुई है।
समायोजन के नाम पर हो रहे स्थानांतरण
जिला पंचायज राज अधिकारी द्वारा जनपद की ग्राम पंचायत में तैनात सफाई कर्मचारियों को उनकी मनचाही तैनाती दिए जाने का एक नया रास्ता निकाल लिया है। स्थानांतरण नीति के बिना ही किए जा रहे ट्रांसफर पर कोई सवाल नहीं उठे इसके लिए उक्त स्थानांतरणों को समायोजन का नाम दे दिया गया है। करीब तीन माह में ही डेढ़ सैकड़ा से अधिक सफाई कर्मियों को समायोजन के नाम पर स्थानांतरित किया गया है। जब इस संबंध में उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने सवाल का जवाब देने से इंकार कर दिया और कहा कि उनसे सवाल सिर्फ डीएम ही कर सकते हैं। संभवतः यही कारण है कि वह अपने भ्रष्टाचारों को मंत्रीजी के आर्शीवाद की आड़ में छिपाना चाहते हैं।