बेसिक शिक्षा विभाग में गत वर्ष हुई लगभग 75 से अधिक जूनियर हाईस्कूलों की मान्यताएं
मथुरा। जनपद के बेसिक शिक्षा विभाग में गत वर्ष जूनियर हाईस्कूलों की नवीन मान्यता और अनुदानित जूनियर हाईस्कूल विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के नाम पर करोड़ों के वारे-न्यारे किए गए। सूत्रों के अनुसार इस खेल में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय भी शामिल है। सेटिंग-गेटिंग के लिए विभागीय कर्मियों के साथ-साथ बाहरी व्यक्ति की भी मदद ली जा रही है।
मथुरा के बेसिक शिक्षा विभाग और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। विभाग बीते कई वर्षां से भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। गत वर्ष एसटीएफ द्वारा शिक्षक भर्ती घोटाले का खुलासा करने के साथ विभागीय कर्मियों के साथ शिक्षकों के भी गिरफ्तार होने और एसआईटी द्वारा वर्ष 2004-2005 के बीएड के फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी कर रहे शिक्षकों का खुलासा करने के बाद भी विभाग में विभिन्न कार्यां को करने के बदले में सुविधा शुल्क की उगाही करना अथवा भ्रष्टाचार बंद नहीं हुआ है। इसी क्रम में अब कुछ अन्य मामले सामने आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, जब से बीएसए चंद्रशेखर ने विभाग का कार्यभार संभाला है तब से लेकर 10 जनवरी तक जनपद में लगभग 75 से अधिक विद्यालयों को जूनियर हाईस्कूल की नवीन मान्यता प्रदान की गई है। यह संख्या अधिकाधिक इसलिए लग रही है कि जहां बीते तीन वर्षां में कुल मिलाकर बमुश्किल 20 ही विद्यालयों को नवीन मान्यता दी गई थी। वहीं अब मात्र सात से आठ माह के अंदर ही 75 से अधिक मान्यताएं दी गई हैं। यह संख्या भी सिर्फ जूनियर हाईस्कूलों की है। अभी प्राईमरी स्कूलों की मान्यता की पत्रावलियां का अनुमोदन होना शेष है। प्राईमरी स्कूलों की पत्रावलियां खंड शिक्षा अधिकारियों से सत्यापित होकर बीएसए के पास आ चुकी हैं। अब उन पर सिर्फ बीएसए के हस्ताक्षर होकर अनुमोदन होना है और ऐसे विद्यालयों की संख्या भी लगभग एक सैकड़ा बताई जा रही है। सूत्र बताते हैं कि रेबड़ी की तरह बांटी जा रही मान्यताओं के पीछे मोटी धनराशि वसूल करने का खेल खेला जा रहा है। एक लाख से लेकर चार लाख रुपए तक वसूले जा रहे हैं। विद्यालय संचालक भी मोटी रकम देने में इसलिए संकोच नहीं कर रहे हैं क्योंकि मान्यता की यह पत्रावलियां लंबे समय से अटकी हुई थीं। बताया जा रहा है कि इस खेल में विद्यालयों को मान्यता मिलने हेतु जो मानक होते हैं उनको भी अनदेखा किया जा रहा है।
इसी तरह विभाग में बेसिक के एडेड जूनियर हाईस्कूल विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति का भी खेल खेला जा रहा है। फरह स्थित एक जूनियर हाईस्कूल सहित अन्य कुछ विद्यालयों को मिलाकर लगभग आठ से दस नियुक्तियां की गई हैं। सूत्रों की मानें तो नियुक्ति पाने वाले शिक्षक भी अधिमानी अर्हता नहीं रखते हैं वरन् उन्होंने प्रबंधन के साथ मिलकर कूटरचित दस्तावेज और शैक्षिक प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी पाने में सफलता हासिल की है। इस खेल में एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस खेल में सिर्फ बेसिक शिक्षा विभाग ही नहीं वरन् वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय (एओ ऑफिस) भी शामिल है। विभागीय सूत्रों की मानें तो हाल में जितनी भी नियुक्तियां हुई हैं उनकी सेटिंग एओ ऑफिस द्वारा ही कराई गई है। उक्त मान्यता और नियुक्ति के खेल में अवैध वसूली करने के खेल में विभागीय कर्मियों के साथ-साथ एक निजी कर्मी की भी सहायता ली जा रही है। ताकि इस खेल का खुलासा न हो सके।