क्या माफियाओं के चंगुल से बच पाएगा वृंदावन का गौरव गुरुकुल विवि!

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मथुरा। कभी देश विदेश में अपनी शिक्षा दीक्षा के लिए विख्यात वृंदावन स्थित गुरुकुल अब बीते काफी समय से विवादों का अखाड़ा बना हुआ है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने स्वयं दीक्षांत समारोह में पहुंचकर स्नातकों को डिग्री प्रदान की थी। इसके अलावा महात्मा गांधी, पं. जवाहर लाल नेहरु, लाल बहादुर शास़्त्री, गोविंद बल्लभ पंत, महामना मदन मोहन मालवीर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, सरोजनी नायडू जैसी विभूतियांं ने आकर यहां का मान बढ़ाया था। अब यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। बीते दिनों आर्य अशोक शर्मा द्वारा गुरुकुल की बेशकीमती जमीन को बाबा रामदेव को हस्तांतरित करने का आरोप लगाने से सनसनी फैल गई है। वहीं आर्य प्रतिनिधि सभा ने अशोक शर्मा पर भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गंभीर आरोप लगाए हैं।

महर्षि दयानंद सरस्वती की दीक्षा स्थली और महात्मा नारायण स्वामी की तपस्थली पर गुरुकुल विवि की स्थापना करने के लिए राजा महेंद्र प्रताप ने अपनी 65 एकड़ बाग की भूमि वर्ष 1902 में शिक्षा के नए आयाम स्थापना करने के लिए दी थी। 16 दिसंबर 1911 में महात्मा नारायण स्वामी की अगुवाई में गुरुकुल विवि आरंभ हुआ। आयुर्वेद शिरोमणि बीएएमएस के साथ साहित्य, इतिहास, अध्यात्म एवं राजनीति के विभिन्न क्षेत्रों में यहां से स्नातक किए छात्रों ने नए आयाम स्थापित किए। एक समय यह गुरुकुल भारत की प्रमुख सामाजिक एवं राष्ट्रीय शिक्षण संस्था थी। सरकार के नियमों के चलते बाधित हुई आयुर्वेद शिरोमणि डिग्री के बाद संस्था में बिखराव शुरु हो गया। आज यहां गुरुकुल वेद विद्यालय का संचालन हो रहा है।


कभी गुरुकुल की इस जमीन पर भारत की महान विभूतियों के कदम पड़े थे लेकिन समय बीतने के साथ ही यहां स्वार्थी तत्वों एकत्र होने लगे। आश्रम की अरबों रुपए की जमीन पर बड़े भूमाफियाओं की नजरें गिद्ध की माफिक लग गईं और जमीन को खुर्द बुर्द करने के प्रयास शुरु हो गए। इसी क्रम में 21 अपै्रल 2019 को आयोजित आर्य प्रतिनिधि सभा की बैठक को लेकर आर्य अशोक शर्मा का आरोप है कि सभा द्वारा गुरुकुल की सारी 65 एकड़ जमीन स्वामी बाबा रामदेव को हस्तांतरित किए जाने की योजना है। बाबा रामदेव यहां शहीद सैनिकों के बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय बनाएंगे। इस तरह बेशकीमती जमीन को बाबा रामदेव को बेचने की प्लानिंग कर ली गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि बाबा रामदेव गुरुकुल को संचालित करने के लिए आचार्य स्वदेश को 10 लाख रुपया प्रतिमाह देते हैं लेकिन इसका कोई हिसाब गुरुकुल संस्था अथवा आचार्य स्वदेश के पास नहीं है। वह इस पैसे को उत्तराखंड में अपने व्यापार में लगाते हैं। आचार्य स्वदेश ब्याज का भी कारोबार करते हैं।

इस संबंध में बुधवार 24 अपै्रल को आचार्य स्वदेश, आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान डॉ. धीरज सिंह, मंत्री स्वामी धर्मेश्वरानंद सरस्वती सहित अन्य ने पत्रकार वार्ता आयोजित की। उन्होंने बाबा रामदेव को जमीन दिए जाने के सभी आरोपों को निराधार बताते हुए 21 अपै्रल को आयोजित बैठक के एजेंडा की कॉपी सार्वजनिक की। उन्होंने कहा कि एजेंडे में कहीं भी बाबा रामदेव के नाम का उल्लेख नहीं है। यहां सिर्फ ‘राजा महेंद्र प्रतापजी शहीद आश्रित आवासीय गुरुकुल विद्यालय’ की स्थापना किए जाने का निर्णय लिया गया था। यह विद्यालय आर्य प्रतिनिधि सभा स्वयं के पैसे और दानदाताओं के सहयोग से बनवाएगी। इसका संपूर्ण स्वामित्व आर्य प्रतिनिधि सभा उप्र लखनऊ के पास ही रहेगा। यह किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बाबा रामदेव द्वारा गुरुकुल को प्रतिमाह 10 लाख रुपए दिए जाने के आरोप को भी निराधार बताया। कहा कि अशोक शर्मा द्वारा यह आरोप लगाए जा रहे हैं जो कि पूर्ण रुप से गलत हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि गुरुकुल की जमीन पर बने हॉस्टल के लिए बाबा रामदेव के समर्थकों ने काफी सहयोग किया था। यह सहयोग उन्होंने सामान भिजवाकर, मजदूर लगवाकर किया था।


कहा कि अशोक शर्मा आर्य ने गुरुकुल की काफी जमीन पर स्वयं, अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से कब्जा कराकर मकान बनवा दिए हैं और जमीन पर अवैध कब्जों को हटवाने के लिए उन्होंने 21 अपै्रल को बैठक से पहले जिलाधिकारी से मुलाकात की थी। डीएम ने कब्जा हटवाने की सहमति भी दी थी। इसकी जानकारी मिलने पर ही अशोक शर्मा बौखला गया है और अनर्गल आरोप लगा रहा है। कहा कि 21 अपै्रल को बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि फिलहाल गुरुकुल की जमीन पर बाउंड्रीवाल करा ली जाए। इसकी लागत लगभग एक करोड़ रुपए आएगी। इसके लिए समर्थकों से दान लेने का फैसला लिया गया। अशोक शर्मा ने बैठक में स्वयं 5 लाख रुपए देने की घोषणा की थी। लेकिन जब उसे जानकारी मिली कि सभा ने डीएम से मुलाकात कर अवैध कब्जा हटवाने के लिए मुलाकात की है तो उसका विचार बदल गया।
बताया कि अगले दिन अशोक शर्मा ने अपने एक साथी को आचार्य स्वदेश के पास यह संदेश भिजवाया था कि सभा के प्रधान डॉ. धीरज प्रधान से उसे कुछ रकम दिलवाई जाए अन्यथा की स्थिति में उन्हें बदनाम किया जाएगा। कहा कि झूठे आरोप लगाने के लिए सभा द्वारा अशोक शर्मा पर कार्यवाही की जाएगी। साथ ही 3-4 दिन बाद एक बार फिर डीएम से मुलाकात कर जमीन पर कब्जा हटवाने का अनुरोध किया जाएगा। सभा के प्राथमिक सदस्य न होने के आरोप पर डॉ. धीरज सिंह ने कहा कि यदि वह प्राथमिक सदस्य न होते तो सभा के प्रधान कैसे बन जाते। वर्ष 2013 में सभा के प्रधान बनने से पहले वह सभा के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं। वहीं आर्य अशोक शर्मा भी अपने ऊपर जमीन पर कब्जा करने और कराने के आरोपों को निराधार बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने सच को सामने लाने का प्रयास किया है यही कारण है कि मुझ पर जमीन कब्जाने के झूठे आरोप लगाए गए हैं।

बता दें कि गुरुकुल की जमीन पर कब्जा करने के लिए पहले भी प्रयास किए गए हैं। इस बेशकीमती जमीन पर भूमाफियाओं और राजनेताओं की नजरें आरंभ से ही टिकी रहीं हैं। वर्ष 2008 से लेकर 2011 के बीच में भी इस पर कब्जा कर लिया गया था लेकिन आर्य प्रतिनिधि सभा की सक्रियता के चलते यह कब्जा सफल नहीं हो सका। इसके बाद आचार्य स्वदेश को गुरुकुल की कमान सौंप दी गई ताकि जमीन पर कब्जा होने से बचाया जा सके और विवादों का खात्मा हो सके लेकिन वर्तमान विवाद को देखकर लग रहा है कि आचार्य स्वदेश आर्य प्रतिनिधि सभा की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। बता दें कि आश्रम में विद्यार्थियों के यौन शोषण के आरोप भी लगते रहे हैं। देखना होगा कि गुरुकुल की अरबों रुपए की जमीन को बचाने में आर्य प्रतिनिधि सभा कामयाब हो पाती है अथवा सभा पर लगाए गए आरोप ही भविष्य में सही साबित होंगे।

बनती रहीं है फर्जी अंकतालिकाएं और डिग्री
गुरुकुल विश्वविद्यालय पहली बार विवादों के घेरे में नहीं है। इससे पहले भी यह विवादों में घिरा रहा है। वर्ष 2008 में संचालन बंद होने के बाद भी यहां से फर्जी अंकतालिकाएं और डिग्री जारी होती रही हैं। यह मार्कशीट उप्र के साथ-साथ देश के विभिन्न राज्यों को भेजी गईं साथ ही नेपाल में भी बडे़ पैमाने पर यहां से बनाकर मार्कशीट भेजी गई हैं। इस खेल में शामिल लोगों ने करोड़ों के वारे न्यारे किए हैं। आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान डॉ. धीरज ने अशोक शर्मा पर भी नकली मार्कशीट और डिग्री के खेल में शामिल होने के आरोप लगाए हैं। इन आरोपों को भी अशोक शर्मा ने सिरे से नकार दिया है। यूजीसी गुरुकुल विश्वविद्यालय को अवैध घोषित कर चुकी है। वर्तमान में भी संस्था के पास कक्षा 6 से 8 तक विद्यालय संचालित करने की मान्यता नहीं है। किसी अन्य विद्यालय से अटैचमेंट किया हुआ है। साथ ही कक्षा 9 और इससे ऊपर की कक्षाओं के लिए साधु आश्रम वृंदावन से परीक्षा दिलाकर प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए जाते हैं।