मथुरा। कौमी एकता मंच और समाजवादी लोक मंच के संयुक्त तत्वाधान में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली और नागरिकों के कर्तव्य विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गई। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता शामिल हुए। इस परिचर्चा में स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा देने की मांग के साथ एक वृहद आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई।
निजी होटल में आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने आपस में चर्चा के दौरान बीते दो वर्षों में देश में स्वास्थ्य सेवाओं के लचर ढांचे की पोल खोली। वक्ताओं ने कहा कि लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते ही कोरोना की दूसरी लहर के दौरान तमाम देशवासी आहत हुए थे। आगरा के पारस अस्पताल में मॉक ड्रिल के दौरान ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने की वजह से हुई बाईस लोगों की मौत ने मौजूदा मानव विरोधी व्यवस्था का चेहरा पूरी तरह बेनकाब कर दिया था। ऐसी घटनाओं से आहत दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कौमी एकता मंच और समाजवादी लोक मंच के आह्वान पर जन-जन को स्वास्थ्य के अधिकार के प्रति जागरूक करने एवं देश की स्वास्थ्य सेवाओं में आमूलचूल बदलाव का लक्ष्य ले कर इस कार्यक्रम में सहभागिता की।
इस परिचर्चा में मांग उठाई गई कि समूचे स्वास्थ्य तंत्र का राष्ट्रीयकरण किया जाए। स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार घोषित किया जाए। जीडीपी का न्यूनतम 10 प्रतिशत स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च किया जाए। जबकि अभी सिर्फ 1.3 प्रतिशत ही खर्च किया जा रहा है। प्रदूषण रहित वातावरण हर नागरिक का अधिकार है, यह उसे मिलना ही चाहिए। अतः इसकी उपलब्धता भी सरकार द्वारा सुनिश्चित की जाए। आगरा के पारस अस्पताल में मॉक ड्रिल के दौरान किए गए नरसंहार की उच्च स्तरीय जांच की जाए एवं पीड़ितों के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाए। इसके अलावा यातायात एवं कार्य क्षेत्रों में दुर्घटनाओं की संभावनाओं को न्यूनतम करने हेतु विशेष कदम उठाए जाएं।
इस अवसर पर उत्तराखंड के रामनगर से आए समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार, महिला एकता मंच की अध्यक्षा ललिता, वर्कर्स यूनिटी के संचालक संदीप तथा कौमी एकता मंच की ओर से मधुबन दत्त चतुर्वेदी एडवोकेट ने मुख्य वक्ता के तौर पर अपनी बात रखी।
इनके अलावा सीपीआई एम जिला सचिव दिगंबर सिंह, नौजवान भारत सभा के जिला संयोजक करण, बहुजन मुक्ति पार्टी के जिलाध्यक्ष मेहराज अली आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।