अब कर्मचारियों के लिए कब्रगाह बना नयति मेडिसिटी, वेतन न मिलने पर एकाउंटेंट ने की आत्महत्या, मुकदमा दर्ज

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अपनी 5 माह की मासूम की पुत्री दर्शिका के साथ मृतक नयति कर्मचारी संतोष कुमार पुंडीर। (परिजनों द्वारा उपलब्ध कराया गया फोटो)

मथुरा। आम जनता को जीवन देने के लिए हजारों करोड़ों की लागत से स्थापित जनपद का सबसे बड़ा हॉस्पिटल नयति मेडिसिटी अब अस्पताल के कर्मचारियों के लिए ही कब्रगाह साबित होता जा रहा है। जिसमें करीब 8 माह से वेतन न मिलने से आहत होकर हॉस्पिटल के लेखाकार ने ही जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली। मृतक कर्मचारी के फौजी पिता द्वारा हॉस्पिटल के चिकित्सकों के खिलाफ थाना हाइवे में आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मुकदमा दर्ज कराया है।

थाना हाईवे में पूर्व फौजी सुरेश चंद पुंडीर निवासी सराय आजमाबाद ने दी तहरीर में अवगत कराया है कि उसका पुत्र संतोष कुमार 20 हजार रु प्रति महीने पर नियति हॉस्पिटल के बिलिंग डिपार्टमेंट में एकाउंटेंट पद पर नौकरी करता था। बीते 8 माह से उसे वेतन नहीं मिला था। अस्पताल प्रबंधन पर उसका करीब आठ माह से रु 1 लाख 60 हजार वेतन बकाया चल रहा था। जब संतोष कुमार द्वारा अस्पताल प्रबंधन के सागर टुटेजा और सुनील जेकब से वेतन की मांग की जाती थी तो वह अस्पताल की मालकिन नीरा राडिया और राकेश चतुर्वेदी के आदेश के बाद देने की कह कर उसे टरका देते थे। 7 अगस्त को संतोष ने जब इन लोगों से वेतन मांगा तो न मिलने पर उसने निराश होकर कोई जहरीली गोली खा ली। गोली खाने के बाद उसने अपने एक परिजन को इस बात की जानकारी दी। इतना सुनकर परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई और वह उसको तलाश करने निकले तो उसका शव बाजना अलवर रेलवे लाइन के पास पड़ा मिला। पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम कराया है। इस संबंध में थाना हाईवे प्रभारी अनुज मलिक ने “विषबाण” को बताया कि अस्पताल के खिलाफ धारा 306 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस जांच में जुटी है।

मृतक के पिता पूर्व फौजी सुरेशचंद पुंडीर ने “विषबाण” से बातचीत में बताया कि 7 अगस्त शनिवार को सुबह करीब 7 बजे संतोष कुमार अपनी बाइक से अस्पताल के लिए ड्यूटी पर निकला था। जहां सुबह 8 से 10 बजे तक 2 घंटे की ड्यूटी की और अस्पताल प्रबंधन से अपने वेतन की मांग करते हुए परिवार के आर्थिक हालातों से अवगत कराया लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने वेतन देने से इंकार कर दिया। जिससे आहत होकर पुत्र ने जहरीला पदार्थ खा लिया। इसकी सूचना संतोष ने अपने मामा को दी। जिसके बाद पुलिस के सहयोग से बाजना पुल के समीप संतोष तड़पते हुए मिला। उसे उपचार के लिए नयति ले जाया गया। जहां करीब आधा घंटा बाद चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पीड़ित पिता का कहना है कि पुत्र द्वारा अस्पताल प्रबंधन से बार-बार वेतन की मांग की गई लेकिन प्रबंधन लगातार बहाने लगाकर उत्पीड़न करता रहा। घर के खराब आर्थिक हालात एवं बच्चों की मजबूरी देखकर संतोष तनाव में रहने लगा था। उसने कुछ दिन पूर्व नजदीकी रिश्तेदारों से दुखी होकर कहा था कि मुझे अस्पताल वालों ने वेतन न देकर आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया है। उस समय रिश्तेदार ने उसे समझा दिया था लेकिन लगातार बिगड़ती परिस्थितियों के चलते वह अधिक परेशान हो गया और नयति अस्पताल प्रबंधन के रवैये के चलते संतोष आत्महत्या करने पर मजबूर हो गया।

पूर्व फौजी पिता के अनुसार 35 वर्षीय संतोष कुमार ने अपने पीछे अपनी पत्नी लाजवती, 4वर्षीय पुत्र युवराज सिंह और 5 माह की पुत्री दर्शिका को रोते बिलखते हुए छोड़ा है। पीड़ित पिता का आरोप है कि वह अस्पताल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए थाने के चक्कर काटता रहा लेकिन पुलिस उसे टहलाती रही। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण के समय अधिकारियों के पैर पकड़ने एवं रो-रो कर फरियाद सुनाए जाने के बाद ही पुलिस ने उसका मुकदमा दर्ज किया है। मृतक के पिता ने मृतक का वेतन और पीएफ फंड सहित मुआवजा दिलाए जाने की गुहार लगाते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की है।

 

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